समग्र मूल्यांकन में उलझे अधिकारी और अध्यापक

Posted in Monday 19 September 2011
by Rajkiya Prathmik Shikshak Sangh - 421

नरेश पंवार, कैथल : शिक्षा विभाग द्वारा मिडिल कक्षाओं में परीक्षा बंद कर शुरू किए गए सतत समग्र मूल्यांकन के संबंध में अधिकारी व अध्यापक असमंजस में हैं। हालांकि प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाएं सिर पर हैं लेकिन अभी तक अध्यापकों को सही तरह से पता नहीं चल पाया है कि मूल्यांकन कैसे किया जाए। शिक्षा विभाग के आदेशानुसार इस बार बच्चे के सर्वागीण विकास में सहायक सभी पहलुओं का मूल्यांकन कर उसे ग्रेड दिया जाना है ताकि उसकी क्षमता का सही पता चल सके। इसके तहत अध्यापक को बच्चे के प्रवेश से लेकर अब तक उसकी खेल प्रतिभा, परीक्षा, रुचि, थ्योरी, प्रायोगिक, एनएसएस, एनसीसी, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ सेवा भावना, अनुशासन व नियमितता का पूरा रिकार्ड रखना था। शायद ही किसी अध्यापक ने पूरा रिकार्ड रखा हो। इसका दूसरा पहलू यह भी है किछह माह बीतने के बावजूद अभी तक विभाग की तरफ से कोई स्पष्ट आदेश नहीं आया है कि मूल्यांकन का आधार क्या बनाया जाए। बच्चों को ग्रेड किस आधार पर व कैसे देना है। सतत समग्र मूल्यांकन के लिए जिले में कोई प्रशिक्षण शिविर भी नहीं लगाया गया है। मूल्यांकन में सभी गतिविधियों का रखें ध्यान : जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी दर्शना देवी ने बताया कि सतत समग्र मूल्यांकन बच्चे के लिए बहुत जरूरी है। इससे बच्चे की पूरी जानकारी मिलने से उसका समग्र विकास कराया जा सकेगा।