बिहार के सरकारी स्कूलों में भीड़ बढ़ी, पर गुणवत्ता नहीं

Posted in Monday 30 January 2012
by Rajkiya Prathmik Shikshak Sangh - 421

सुभाष पांडेय, नई दिल्ली : देश में एक तरफ जहां प्राइवेट स्कूलों में नामांकन की दर बढ़ रही है, वहीं बिहार अकेला राज्य हैं जहां सरकारी स्कूलों में नामांकन के लिए भीड़ बढ़ी है। यह स्थिति तब है जब शिक्षा की स्थिति पर केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट ने बिहार में सरकारी स्कूलों में नामांकन में हो रही गड़बडि़यों पर मुहर भी लगा दी है। बिहार के करीब एक दर्जन जिलों के सरकारी स्कूलों में करीब दस लाख से अधिक फर्जी नामांकन के मामले पिछले दिनों पकड़ में आएं है। फर्जी नामांकन मामले में सैकड़ों शिक्षकों पर कार्रवाई हुई है। यह आरंभिक जांच के आंकड़े हैं। राज्य सरकार सभी जिलों में नामांकन में गड़बडि़यों की जांच करा रही है। एनुअल स्टेटस आफ एडुकेशन रिपोर्ट 2011 (असर) में जो तथ्य सामने आए है वह भी नामांकन में हो रही गड़बड़ी को प्रमाणित कर रहे हैं। इस रिपोर्ट में जो तथ्य आएं हैं उसके मुताबिक राज्य के इन सरकारी स्कूलों में बच्चों ने पढ़ाई के लिए कम, सरकार से मिलने वाली पोशाक और साइकिल पाने के लालच में नामांकन कराया। रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि राज्य में पढ़ने लिखने का माहौल बना है, पर इसके स्तर में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। बिहार में सरकार के 72 हजार प्राथमिक और मध्य विद्यालय और दस हजार हाई स्कूलों में करीब दो करोड़ से अधिक बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन इन सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर इतना घटिया है किआधे बच्चों को टयूशन लेना पड़ रहा है। देश में सरकारी स्कूलों के 23.3 प्रतिशत और प्राइवेट स्कूलों के 21 प्रतिशत ही बच्चे टयूशन लेते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 46.7 प्रतिशत बच्चों को घरों पर टयूशन लेना पड़ता है। प्राइवेट स्कूल के 60.8 प्रतिशत बच्चे टयूशन लेते हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार के साथ ही झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी शिक्षा की स्थिति में कोई खास सुधार नहीं दिख रहा है।