भरती की नई नीति को गेस्ट टीचरों ने ठुकराया

Posted in Saturday 14 April 2012
by Rajkiya Prathmik Shikshak Sangh - 421

अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। जिन गेस्ट टीचरों को फायदा पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के निर्देश पर सरकार ने टीचर भरती करने के लिए दो दिन पहले टीईटी से तीन साल के लिए छूट देकर जो नियम अधिसूचित किए हैं, उससे गेस्ट टीचर भी खुश नहीं हैं।
उन्होंने भी सरकार की पालिसी ठुकरा दी है। खास बात यह है कि नए नियमों को कैबिनेट की बैठक बुलाकर मंजूरी नहीं दिलाई, बल्कि सर्कुलर के जरिए एक-एक मंत्री के पास फाइल भेजकर हस्ताक्षर करवाए गए। सर्कु लर से कराए मंत्रियों के हस्ताक्षर भी कैबिनेट की बैठक मानी जाती है। उधर, टीईटी पास युवा बेरोजगार इसकी शिकायत मानव संसाधन विकास मंत्रालय से करेंगे ।
गेस्ट टीचरों के सिर पर हाईकोर्ट के फैसले के कारण 30 मार्च 2012 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से दो दिन पहले जब हटाने की तलवार लटक रही थी तो गेस्ट टीचरों की मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल और अन्य अफसरों के साथ बैठक में यह फैसला हुआ था कि अगर सुप्रीम कोर्ट से गेस्ट टीचरों को हटाने का आदेश आता है तो उन्हें फौरन राहत देने के लिए नियमों में परिवर्तन कर दिया जाएगा और नई भरती में उन्हें टीईटी से छूट दी जाएगी।
बैठक में भी गेस्ट टीचरों ने सरकार के इस सुझाव को ठुकरा दिया था।
इसके बाद सर्कुलर पर मंत्रियों से हस्ताक्षर करवा लिए गए।
इसके बाद स्कूल शिक्षा वित्तायुक्त सुरीना राजन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के संदर्भ में नियमों में परिवर्तन पर पुनर्विचार करने के लिए फाइल भेजी तो मुख्य सचिव पीके चौधरी ने फाइल यह कहकर लौटा दी कि कैबिनेट का फैसला हो चुका है।
हम सरकार के नए सर्विस रूल को पूरी तरह नकारते हैं। हमारी एक ही मांग है कि हमें कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव पारित कर एकमुश्त रेगुलर किया जाए। टीईटी से तीन साल के लिए दी गई छूट से फायदा नहीं होने वाला है, क्योंकि पूरे देश से लाखों बेरोजगार आवेदन करेंगे और स्क्रीनिंग टेस्ट से गुजरना पड़ेगा।
- राजेंद्र शर्मा, प्रधान महासचिव, गेस्ट टीचर एसोसिएशन, हरियाणा