मिड डे मील पर नियमित नजर रखेगी स्थायी समिति

Posted in Friday 23 August 2013
by Rajkiya Prathmik Shikshak Sangh - 421

बिहार में पिछले माह मिड डे मील से 23 स्कूली बच्चों की मौत के बाद चेती सरकार अब मध्यान्ह भोजन की इस योजना पर नियमित नजर रखेगी। केंद्र ने उसके लिए एक स्थायी समिति का ही गठन कर दिया है। खास बात यह है कि खुद केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री समिति के चेयरमैन होंगे। देश के स्कूलों में मिड डे मील की क्वालिटी कैसी है? साफ-सफाई का कितना ध्यान रखा जाता है? योजना को सुचारु रूप से चलाने का तंत्र और समीक्षा की व्यवस्था कितनी प्रभावी है? लगभग 30 सदस्यीय स्थायी समिति इन सवालों की हकीकत तो जानेगी ही, उसे बेहतर बनाने के उपाय भी सरकार को सुझाएगी। समिति यह भी पता लगाएगी कि योजना में स्थानीय समुदाय की कितनी भागीदारी है और उनका प्रतिनिधित्व कैसे और बढ़ाया जाए। सूत्रों के मुताबिक, समिति हर दो-तीन माह में बैठकें करती रहेगी और मिड डे मील से जुड़े मसलों पर सरकार को जरूरी सुझाव व सिफारिशें देती रहेंगी। बिहार, आंध्र प्रदेश, मेघालय और राजस्थान के शिक्षा मंत्री मानव संसाधन विकास मंत्री एमएम पल्लम राजू की अध्यक्षता वाली इस समिति सदस्य होंगे। उनके अलावा फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सीईओ, खाद्य मामलों के जानकार एनसी सक्सेना, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पूर्व चेयरमैन शांता सिन्हा, आदिवासी विकास समिति (ओडिशा) के तुलसी मुंडा, यूनीसेफ की प्रतिनिधि उर्मिला सरकार, स्वामी शिवानंद मेमोरियल इंस्टीट्यूट (दिल्ली) की फिरोजा मेहरोत्र, खाद्य सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से जुड़े विराज पटनायक एडवोकेट, राष्ट्रीय पोषण संस्थान (हैदराबाद) के निदेशक, सेंटर फॉर इनक्लूसिव डेवलपमेंट की प्रतिनिधि एनी जेमन और ग्रामीण विकास मंत्रलय, महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य, पंचायती राज मंत्रलय के प्रतिनिधि समेत समिति में लगभग 30 सदस्य हैं।जागरण क्यूरो, नई दिल्ली : बिहार में पिछले माह मिड डे मील से 23 स्कूली बच्चों की मौत के बाद चेती सरकार अब मध्यान्ह भोजन की इस योजना पर नियमित नजर रखेगी। केंद्र ने उसके लिए एक स्थायी समिति का ही गठन कर दिया है। खास बात यह है कि खुद केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री समिति के चेयरमैन होंगे। देश के स्कूलों में मिड डे मील की क्वालिटी कैसी है? साफ-सफाई का कितना ध्यान रखा जाता है? योजना को सुचारु रूप से चलाने का तंत्र और समीक्षा की व्यवस्था कितनी प्रभावी है? लगभग 30 सदस्यीय स्थायी समिति इन सवालों की हकीकत तो जानेगी ही, उसे बेहतर बनाने के उपाय भी सरकार को सुझाएगी। समिति यह भी पता लगाएगी कि योजना में स्थानीय समुदाय की कितनी भागीदारी है और उनका प्रतिनिधित्व कैसे और बढ़ाया जाए। सूत्रों के मुताबिक, समिति हर दो-तीन माह में बैठकें करती रहेगी और मिड डे मील से जुड़े मसलों पर सरकार को जरूरी सुझाव व सिफारिशें देती रहेंगी। बिहार, आंध्र प्रदेश, मेघालय और राजस्थान के शिक्षा मंत्री मानव संसाधन विकास मंत्री एमएम पल्लम राजू की अध्यक्षता वाली इस समिति सदस्य होंगे। उनके अलावा फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सीईओ, खाद्य मामलों के जानकार एनसी सक्सेना, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पूर्व चेयरमैन शांता सिन्हा, आदिवासी विकास समिति (ओडिशा) के तुलसी मुंडा, यूनीसेफ की प्रतिनिधि उर्मिला सरकार, स्वामी शिवानंद मेमोरियल इंस्टीट्यूट (दिल्ली) की फिरोजा मेहरोत्र, खाद्य सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से जुड़े विराज पटनायक एडवोकेट, राष्ट्रीय पोषण संस्थान (हैदराबाद) के निदेशक, सेंटर फॉर इनक्लूसिव डेवलपमेंट की प्रतिनिधि एनी जेमन और ग्रामीण विकास मंत्रलय, महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य, पंचायती राज मंत्रलय के प्रतिनिधि समेत समिति में लगभग 30 सदस्य हैं।