अरे..ये गुरुजी तो बड़े चालबाज निकले
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Tuesday, 21 June 2011
by Rajkiya Prathmik Shikshak Sangh - 421
चंडीगढ़, जागरण ब्यूरो :
शिक्षा विभाग में आनलाइन तबादलों को लेकर गुरुजनों की नई चालबाजी उजागर हुई है। गुरुजनों ने शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर आवेदन कर न केवल अपने प्रतिद्वंद्वी शिक्षकों को दुर्गम तथा पिछड़े इलाकों में भेजने का आवेदन कर दिया, बल्कि कई ऐसे शिक्षकों के आवेदन भी कर डाले, जो अपने वर्तमान कार्य स्थल से तबादले के कतई इच्छुक नहीं हैं। तबादला चाहने अथवा नहीं चाहने वाले गुरुजनों को अपने साथियों की इस चालबाजी का पता तब चला, जब वह स्वयं शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर अपनी इच्छा के अनुसार आवेदन करने लगे। वेबसाइट खोलते ही ऐसे शिक्षकों ने अपना आवेदन करना चाहा तो उन्हें जवाब मिला कि उन्होंने पहले ही अपनी इच्छा से शिक्षा विभाग को अवगत करा दिया है। यानि उनका रजिस्ट्रेशन हो चुका है। वेबसाइट पर स्वयं रजिस्ट्रेशन किए बिना रजिस्ट्रेशन हो जाने की सूचना पर गुरुजनों के होश उड़ गए। प्रदेश भर में गुरुजनों की इस आपसी चालबाजी और मजाक का करीब 600 शिक्षक शिकार हुए हैं। शिक्षा विभाग ने व्यवस्था दी थी कि तबादला चाहने वाले और नहीं चाहने वाले शिक्षकों को आनलाइन आवेदन करना होगा। यह समय सीमा 15 जून को समाप्त हो चुकी है। हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन (हसला) के अध्यक्ष किताब सिंह मोर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल, मुख्यमंत्री के ओएसडी एमएस चोपड़ा, शिक्षा निदेशक विजयेंद्र कुमार तथा अतिरिक्त निदेशक सतबीर सैनी को इस पूरे गोरखधंधे की जानकारी दी। शिक्षा मंत्री से चली लंबी वार्ता के दौरान विभाग चालबाजी का शिकार हुए शिक्षकों को राहत देने पर राजी हो गया है। शिक्षा मंत्री के निर्देश पर निदेशक विजयेंद्र कुमार ने कहा कि ऐसे शिक्षक जिन्हें अपने साथ धोखा होने का अंदेशा है, वह सोमवार 20 जून शाम पांच बजे तक अपनी निजी मेल-आईडी से आवेदन कर स्थिति स्पष्ट कर सकते हैं। इस मेल में शिक्षकों को अपना फोन नंबर भी लिखना होगा, ताकि विभाग की ओर से फोन कर उनसे कन्फर्मेशन ली जा सके। शिक्षा निदेशक ने बताया कि ऑनलाइन प्रणाली के तहत 15 जून तक प्राप्त सभी स्थानांतरण आवेदनों को संबंधित अध्यापकों के अवलोकनार्थ विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध करवा दिया गया है, ताकि उनमें यदि कोई त्रुटि है तो उसे दूर करवाया जा सके। उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा अपने संसाधनों तथा तरीकों से इस बात का पता लगाया जा रहा है कि शरारत करने वाले लोग कौन हैं। शिक्षा विभाग इस कार्य में पुलिस के साइबर सेल की भी मदद ले रहा है।