जेबीटी अभी नहीं आएंगे गृह जिले में !
Posted in
Tuesday, 28 February 2012
by Rajkiya Prathmik Shikshak Sangh - 421
भास्कर न्यूज त्न चरखी दादरी
दूसरे जिलों में कार्यरत जेबीटी व सीएंडवी शिक्षकों को अपने जिलों में आने के लिए और इंतजार करना पड़ेगा। वर्तमान में सरकार के पास इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं हैं। यह जवाब कल विधानसभा सत्र के दौरान शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने दिया। प्रस्ताव की तरफ ध्यान बाढड़ा से इनेलो विधायक कर्नल रघबीर सिंह छिल्लर ने करवाया था। इस समय प्रदेश भर में लगभग दस हजार शिक्षक दूसरे जिलों में कार्यरत हैं।
बनाई थी पॉलिसी
प्रदेश में बड़े पैमाने पर वर्ष 2004 व 2008 में जेबीटी व सीएंडवी शिक्षकों की भर्ती की थी। गृह जिलों में कम पद होने के कारण उस समय नियुक्ति दूसरे जिलों में कर दी थी। इसके बाद शिक्षकों के गृह जिले में तबादले के बढ़ते दबाव के चलते सरकार ने जून 2011 में अंतर जिला स्थानांतरण पॉलिसी बनाई थी जिसके तहत शिक्षकों से 25 अगस्त तक तबादले के आवेदन मांगे थे।शिक्षा विभाग ने रेशनेलाइजेशन प्रक्रिया के चलते तबादला पॉलिसी पर रोक लगा दी थी। इसी वर्ष 20 जनवरी को रेशनेलाइजेशन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इसके बाद भी अभी तक पॉलिसी को लागू नहीं किया गया है। कुछ समय पहले मुख्यमंत्री ने शिक्षकों को गृह जिले में भेजने का आश्वासन दिया था।
विधानसभा सत्र में जब बाढड़ा से इनेलो विधायक रघबीर सिंह छिल्लर ने शुक्रवार को विधान सभा में पूछा की जेबीटी शिक्षकों को गृह जिले में ट्रांसफर करने की क्या योजना है। इस पर शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने कहा कि इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं है।
बाढड़ा विधायक कर्नल रघबीर सिंह छिल्लर ने कहा कि वे आगे भी इस मांग को सरकार के सामने उठाते रहेंगे। उधर शिक्षक नेता संजीव मंदौला ने बताया कि बेशक जेबीटी व सीएंडवी शिक्षक का कॉडर जिला स्तर का है,बिना पद के किस तरह नियुक्त किया जा सकता है। तबादला नीति के अनुसार कप्पल व अपंग को इस में वरीयता दी जाती है।
दूसरे जिलों में कार्यरत जेबीटी व सीएंडवी शिक्षकों को अपने जिलों में आने के लिए और इंतजार करना पड़ेगा। वर्तमान में सरकार के पास इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं हैं। यह जवाब कल विधानसभा सत्र के दौरान शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने दिया। प्रस्ताव की तरफ ध्यान बाढड़ा से इनेलो विधायक कर्नल रघबीर सिंह छिल्लर ने करवाया था। इस समय प्रदेश भर में लगभग दस हजार शिक्षक दूसरे जिलों में कार्यरत हैं।
बनाई थी पॉलिसी
प्रदेश में बड़े पैमाने पर वर्ष 2004 व 2008 में जेबीटी व सीएंडवी शिक्षकों की भर्ती की थी। गृह जिलों में कम पद होने के कारण उस समय नियुक्ति दूसरे जिलों में कर दी थी। इसके बाद शिक्षकों के गृह जिले में तबादले के बढ़ते दबाव के चलते सरकार ने जून 2011 में अंतर जिला स्थानांतरण पॉलिसी बनाई थी जिसके तहत शिक्षकों से 25 अगस्त तक तबादले के आवेदन मांगे थे।शिक्षा विभाग ने रेशनेलाइजेशन प्रक्रिया के चलते तबादला पॉलिसी पर रोक लगा दी थी। इसी वर्ष 20 जनवरी को रेशनेलाइजेशन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इसके बाद भी अभी तक पॉलिसी को लागू नहीं किया गया है। कुछ समय पहले मुख्यमंत्री ने शिक्षकों को गृह जिले में भेजने का आश्वासन दिया था।
विधानसभा सत्र में जब बाढड़ा से इनेलो विधायक रघबीर सिंह छिल्लर ने शुक्रवार को विधान सभा में पूछा की जेबीटी शिक्षकों को गृह जिले में ट्रांसफर करने की क्या योजना है। इस पर शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने कहा कि इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं है।
बाढड़ा विधायक कर्नल रघबीर सिंह छिल्लर ने कहा कि वे आगे भी इस मांग को सरकार के सामने उठाते रहेंगे। उधर शिक्षक नेता संजीव मंदौला ने बताया कि बेशक जेबीटी व सीएंडवी शिक्षक का कॉडर जिला स्तर का है,बिना पद के किस तरह नियुक्त किया जा सकता है। तबादला नीति के अनुसार कप्पल व अपंग को इस में वरीयता दी जाती है।