हिंदी भी नहीं जानते सरकारी स्कूलों के बच्चे

Posted in Sunday 29 May 2011
by Rajkiya Prathmik Shikshak Sangh - 421

प्रधानाचार्य के लिखे पत्र को कूड़ेदान में डाला 
ऐसे बच्चों को प्रवेश देना अपनी मजबूरी बताया 
उदय भारद्वाज
शिलाई (सिरमौर)। गिरिपार क्षेत्र में प्राथमिक शिक्षा का स्तर कितना गिर चुका है? एक प्राचार्य के बीआरसी को लिखे पत्र ने सारी पोल खोल दी है। अपनी कमियां एवं खामियां छिपाने के लिए उस पत्र पर अमल करने के बजाय उस पत्र को रद्दी समझकर कूड़ेदान में डाल दिया।
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला के तत्कालीन प्रधानाचार्य एसके सोनी ने डाक संख्या जीएसएस कोटीबोंच 127/08 दिनांक 4 मार्च 2009 को एक पत्र लिखा था। इसका विषय था प्राथमिक शिक्षण स्तर रोशनी से अंधेरे की ओर। पत्र में लिखा गया था कि जो विद्यार्थी कक्षा 5 से कक्षा 6 में उनके स्कूल में या अन्य स्कूलों में आ रहे हैं, उन्हें सरल हिंदी एवं मात्राओं तक का ज्ञान नहीं है। ऐसे में गणित, विज्ञान व अंगे्रजी जैसे विषय तो उनकी पहुंच से कोसो दूर हैं। पत्र में यह भी लिखा गया था कि नियमानुसार ऐसे बच्चों को स्कूल में प्रवेश देना उनकी मजबूरी है। पत्र में बताया गया है कि पांच वर्ष का समय बहुत लंबा होता है, कम से कम मातृभाषा का ज्ञान अवश्य होना चाहिए। इस पत्र को सभी केंद्र मुख्य अध्यापकों (सीएचटी) को भेजा जाना चाहिए था तथा उच्च अधिकारियों को इसकी सूचना भेजी जानी चाहिए थी। इस संबंध में कोटीबोंच के तत्कालीन व वर्तमान में कांगड़ा जिला के छोटा भंगाल में तैनात प्रधानाचार्य एसके सोनी ने बताया कि उन्होंने दो पंचायतों के प्रधानों, दो केंद्र अध्यक्षों एवं प्राथमिक खंड शिक्षा अधिकारी शिलाई को पत्र लिखा था। उन्हें यह सब देखकर वेदना होती थी कि कक्षा 6 के बच्चों को अक्षर ज्ञान तक नहीं है। पत्र में उन्होंने अपने सुझाव लिखे थे। लेकिन उनके कार्यकाल तक उन्हें इस बाबत कोई जवाब नहीं मिला। इस संबंध में तत्कालीन बीआरसी व वर्तमान प्राथमिक शिक्षा खंड अधिकारी जीआर वर्मा ने पत्र मिलने की पुष्टि करते हुए बताया कि अध्यापकों को वह पत्र दिखाया गया था तथा मौखिक यह सब बताया गया था। मौखिक सूचना जिले के अधिकारियों को भी दी गई थी। यह पूछने पर वह पत्र कहां है तो उन्होंने बताया कि उन्हें मालूम नहीं है।