शिक्षा अधिकार कानून पर दिल्ली में ही अमल नहीं
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Thursday, 29 September 2011
by Rajkiya Prathmik Shikshak Sangh - 421
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली केंद्र सरकार ने छह से चौदह साल तक के बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा का कानून तो बना दिया, लेकिन कुछ राज्य सरकारें अब भी उसे तवज्जो नहीं दे रही हैं। कानून की इस अनदेखी में दिल्ली समेत कांग्रेस और भाजपा शासित राज्य सरकारें भी शामिल हैं। राज्यों के इस उदासीन रवैये के मद्देनजर केंद्र ने उन राज्यों में सर्वशिक्षा अभियान के तहत नए स्कूलों को खोलने के लिए धन देने पर रोक लगा रखी है। सूत्रों के दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु सरकार समेत कुछ दूसरे राज्यों ने अब भी शिक्षा का अधिकार कानून पर अमल नहीं शुरू किया है। उसके लिए उन्हें अपने नियम-कायदे बनाकर अधिसूचना जारी करनी थी। यह स्थिति तब है, जब केंद्र की ओर से इस कानून को लागू हुए डेढ़ साल होने जा रहा है। हालांकि दिल्ली के शिक्षा मंत्री अरविंदर सिंह लवली का कहना है कि प्रदेश सरकार ने इस कानून के अपने नियम तो बना लिए हैं, लेकिन कुछ दूसरी औपचारिकताओं के मद्देनजर अधिसूचना अभी नहीं जारी की जा सकी है। मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा के इस कानून का अनुपालन सर्वशिक्षा अभियान के जरिए ही हो रहा है। लिहाजा मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बीते मई-जून में सर्वशिक्षा अभियान की चालू वित्तीय वर्ष के लिए परियोजना मंजूरी बोर्ड (पीएबी) की बैठक में ही स्पष्ट कर दिया था कि राज्य सरकारें जब तक कानून पर अमल नहीं करेंगी, उनकी नई परियोजनाओं के लिए स्वीकृत धन जारी नहीं किया जाएगा। बताते हैं कि बीते वित्तीय वर्ष के अंत (31 मार्च, 2011) तक सिर्फ 15 राज्यों ने इस कानून के अमल की अधिसूचना जारी की थी, लेकिन पीएबी की बैठकों में केंद्र की सलाह के बाद दूसरे कई राज्यों ने भी इस पर अमल शुरू कर दिया। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य ने तो अभी लगभग महीने भर पहले ही इस पर अमल शुरू किया है। जबकि आधा दर्जन से अधिक राज्यों ने इस कानून की अधिसूचना अब तक नहीं जारी की है। लिहाजा सर्वशिक्षा अभियान के तहत उनके यहां नए स्कूलों की मंजूरी के बाद भी उसके लिए धन नहीं जारी किया जा रहा है। हालांकि उनकी पिछली स्वीकृत सभी परियोजनाओं का बजट पहले की ही तरह जारी है।