नीति में स्थिरता जरूरी

Posted in Thursday, 11 August 2011
by Rajkiya Prathmik Shikshak Sangh - 421

तबादला नीति हर सरकार की प्रशासनिक कार्यकुशलता, व्यावहारिक दक्षता और शासकीय गतिशीलता का पैमाना होती है। यह सरकार की वाह-वाह करवाती है और हाय-हाय भी। कर्मचारियों में अध्यापक ऐसा वर्ग है जिसका आकार सबसे बड़ा और सरोकार सबसे अधिक होता है। प्रदेश सरकार ने जेबीटी के अंतर जिला तबादलों की राह खोलकर नीतिगत प्रगतिशीलता का परिचय दिया है। चूंकि जेबीटी व सीएंडवी का कैडर जिला स्तर का होता है, इसलिए अब तक ये संबंधित जिले की सीमा से बाहर नहीं जा सकते थे। तबादला नीति में अधिक प्रयोगों से किसी भी राज्य सरकार को बचना चाहिए। हाल ही में स्कूल अध्यापकों व लेक्चरर के तबादलों के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे। हरियाणा में संभवत: प्रथम बार ऐसा प्रयोग हुआ और इसमें कई ऐसे मामले सामने आए जो व्यवस्था को मुंह चिढ़ाते दिखाई दिए। रंजिश निकालने, प्रताडि़त करने या नाहक छेड़खानी के लिए कई अध्यापकों ने अपने साथियों के नाम से फर्जी ऑनलाइन आवेदन डाल दिए। वास्तविक अध्यापकों ने जब स्वयं आवेदन किया तो उन्हें बताया गया कि उनके आवेदन तो आ चुके हैं। उसके बाद जांच शुरू हुई और दो फर्जी आवेदक गिरफ्तार भी किए गए। जेबीटी व सीएंडवी के मामले में नई पहल प्रशंसनीय तो है पर इसमें भी व्यावहारिक पहलुओं में कुछ संशोधन किया जाए तो निश्चित रूप से अध्यापक वर्ग से सराहना मिलेगी। चूंकि जिला कैडर है, इसलिए एक से दूसरे जिले में जाते ही जेबीटी एवं सीएंडवी की वरिष्ठता समाप्त हो जाती है, यानी नए सिरे से नियुक्ति मानी जाती है। कर्मचारी को जितना प्रेम वेतन व पीएफ से है उतना ही सीनियरिटी से भी होता है। वास्तविक पात्रों की वरिष्ठता कायम रखी जानी चाहिए। सरकार की असली परीक्षा तभी मानी जाएगी जब तबादला नीति में राजनैतिक हस्तक्षेप न्यूनतम किया जाए। इसी वजह से तबादलों के पुनर्समायोजन की नौबत आती है। इस नीति में स्थिरता या स्थायित्व भी नितांत जरूरी है। पहले दो वर्ष की समय सीमा थी, उसे पांच वर्ष किया गया, बाद में बदल कर तीन वर्ष कर दिया गया। म्युचुअल, मेरिट, मेडिकल व मैरिज के मापदंडों को और स्पष्ट एवं व्यावहारिक बनाए जाने की जरूरत है। जेबीटी, सीएंडवी से भी तबादले के आवेदन ऑनलाइन ही मांगे गए हैं, लिहाजा आवेदकों के साथ सरकार को भी कड़ी निगाह रखनी होगी कि किसी की भावनाओं से कोई छेड़छाड़ न कर पाए। ऐसा करने वालों पर कार्रवाई का प्रावधान और कड़ा किया जाए।