ड्राप आउट पर नरेंद्र मोदी और कपिल सिब्बल आमने-सामने
Posted in
Saturday, 12 November 2011
by Rajkiya Prathmik Shikshak Sangh - 421
राजकेश्वर सिंह, नई दिल्ली केंद्र और गुजरात सरकार वैसे तो किसी न किसी बहाने एक दूसरे को घेरती ही रहती हैं, लेकिन इस बार वे स्कूली बच्चों की बीच में ही पढ़ाई छोड़ने (ड्राप आउट) को लेकर आमने-सामने हैं। मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने ड्राप आउट को लेकर केंद्र के आंकड़े पर सवाल उठाया तो केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने अब राज्य सरकार को ही यह कहकर कठघरे में खड़ा कर दिया है कि आंकड़े तो राज्य सरकार ने ही दिए थे। मोदी ने गुजरात मेंकक्षा एक से पांचवीं तक और छठवीं से आठवीं तक के बच्चों के बीच में पढ़ाई छोड़ने को लेकर केंद्र के चुनिंदा शैक्षिक आंकड़े (एसईएस) और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रबंधन विश्वविद्यालय (न्यूपा) की ओर से पूर्व में जारी विरोधाभासी आंकड़ों पर सवाल उठाए थे। सितंबर 2008 तक के चुनिंदा शैक्षिक आंकड़ों की रिपोर्ट में कक्षा एक से पांचवीं तक में 25.87 प्रतिशत बच्चों के बीच में पढ़ाई छोड़ने की बात कही गई थी। उनमें लड़कियों की संख्या सिर्फ 3.3 प्रतिशत थी। दूसरी तरफ, न्यूपा ने जिला शिक्षा सूचना प्रणाली (डीआइएसई) के जरिए 2008-09 के जुटाए आंकड़ों पर आधारित 2009-10 में जारी अपनी रिपोर्ट में प्राइमरी में सिर्फ 3.86 प्रतिशत बच्चों के ही ड्राप आउट की बात कही है। मुख्यमंत्री ने आंकड़ों की इस विसंगति पर मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को चिट्ठी लिखकर मामले में हस्तक्षेप की गुहार की थी। सूत्रों के मुताबिक, सिब्बल ने मुख्यमंत्री को भेजे जवाब में गुजरात सरकार की ही लपेट लिया है। सिब्बल ने गुजरात के स्कूलों में दाखिले के आंकड़ों में ही विसंगति की आशंका जता दी है। उनके मुताबिक, चुनिंदा शैक्षिक आंकड़ों के लिए गुजरात ने 2004-05 में खुद ही कक्षा एक में 9,96,810 लड़कों व 5,84956 लड़कियों के दाखिले की जानकारी उपलब्ध कराई थी, जबकि 2008-09 में उसने ही कक्षा पांच में 6,06,938 लड़कों व 19,331 लड़कियों के दाखिले की जानकारी दी। सिब्बल ने मोदी से कहा है कि एसईएस व न्यूपा ने जो भी आंकड़े जारी किए, उन्हें गुजरात ने ही उपलब्ध कराया था। यह अलग बात है कि दोनों आंकड़ों को जुटाने का अंतराल व तरीका अलग है। सिब्बल के मुताबिक, यह दर्शाता है कि है कि 2004-05 और 2008-09 के बीच 3,89,872 छात्रों ने (39.11 प्रतिशत) ने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी। इसी तरह लड़कियों में 19,331 (3.30 प्रतिशत) ने बीच में पढ़ाई छोड़ दी। यह 2004-05 में हुए दाखिला लेने वाले 1581766 बच्चों की संख्या का 25.87 प्रतिशत बैठती है। उन्होंने यह सवाल भी उठाया है कि राज्य में लड़कों की तुलना में लड़कियों का अनुपात कम होने के तथ्य पर गौर करने के बावजूद लड़के-लड़कियों के दाखिले में इतना बड़ा अंतर नहीं हो चाहिए।