छात्राओं को प्रति हाजिरी दस रुपये देता है स्कूल

Posted in Saturday, 12 November 2011
by Rajkiya Prathmik Shikshak Sangh - 421

लोकेश चौहान, नोएडा लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए देश भर में सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर तमाम अभिनव प्रयोग हुए हैं, लेकिन संभवत: सबसे अभिनव प्रयोग बुलंदशहर के अनूपशहर इलाके के भिचौला नामक गांव में हुआ है। यहां के एक स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों को प्रति उपस्थिति दस रुपये दिए जाते हैं। ये रुपये छात्रा के नाम बैंक खाते में जमा होते हैं। जिस समय छात्रा दसवीं पास करती है उसके खाते में लगभग चालीस हजार रुपये होते हैं। करीब नौ वर्ष पहले 45 छात्राओं से शुरू किए गए इस स्कूल में आज एक हजार से अधिक छात्राएं हैं। इस स्कूल के कर्ता-धर्ता भिचौला में ही जन्मे वीरेंद्र सेम सिंह हैं, जो एक मल्टीनेशनल कंपनी के सीईओ रहे हैं। लंबे समय तक विदेश में रहने के बाद वर्ष 2000 में गांव आने पर वीरेंद्र सिंह ने देखा कि गांव के लोग लड़कियों को पढ़ाने के नाम से कतराते हैं और 14-15 साल में ही उनकी शादी कर देते हैं। उन्होंने विदेश की तर्ज पर स्कूल खोलने का फैसला किया और फिर परदादा-परदादी ग‌र्ल्स वोकेशनल स्कूल के नाम से एक विद्यालय शुरू कर दिया। इस काम में उनके कुछ अमेरिकी दोस्तों ने भी हाथ बंटाया। गांव वालों को लड़कियों को पढ़ाने के लिए प्रेरित करने के लिए उन्होंने प्रति हाजिरी 10 रुपये देने की व्यवस्था की। इससे लड़कियों की संख्या बढ़ाने में मदद मिली। इस स्कूल का उद्देश्य लड़कियों को शिक्षित करना ही नहीं, बल्कि उन्हें स्वावलंबी बनाना भी है। इसके लिए लड़कियों को दसवीं तक की शिक्षा देने के साथ स्पो‌र्ट्स, कंप्यूटर की जानकारी के साथ स्वरोजगार के कई कोर्स भी कराए जाते हैं। अपने स्कूल की लड़कियों के साथ नोएडा के शिल्पोत्सव में भाग लेने आए वीरेंद्र ने बताया कि जब कोई लड़की दसवीं पास करके निकलती है तो उसके पास करीब 40 हजार की पूंजी होने के साथ आगे की पढ़ाई के विकल्पों समेत स्वरोजगार के कोर्स की पूरी जानकारी भी होती है। उन्होंने बताया कि उनके स्कूल की एक छात्रा एयर होस्टेस बन चुकी है और अब आसपास के करीब एक दर्जन गांवों की लड़किया इस स्कूल में शिक्षा पा रही हैं। नोएडा स्टेडियम में आयोजित शिल्पोत्सव में इस स्कूल की लड़कियों के स्टाल में उनके द्वारा बनाई गईं ब्लाक पेंटिंग, एम्ब्राडरी आदि बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।