परवान नहीं चढ़ सकी स्कूल बनाने की मुहिम
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Saturday, 7 April 2012
by Rajkiya Prathmik Shikshak Sangh - 421
राजकेश्वर सिंह, नई दिल्ली सरकार कुछ भी कहे, लेकिन शिक्षा के मामले में सुनहरे सपने बेचने में उसका कोई सानी नहीं है। खासकर, बुनियादी शिक्षा के मामले में। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की बात छोडि़ए, रेल मंत्रालय तो उससे भी दो कदम आगे निकला। वह भी उत्तर प्रदेश में जहां से खुद संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव राहुल गांधी चुनकर आते हैं। प्रदेश में रेलवे की जमीन पर दर्जन भर से अधिक केंद्रीय विद्यालय खुलने थे। दो साल पुराने इस फैसले को भी अफसरों ने ठेंगा दिखा दिया। संप्रग-दो में ही जनवरी, 2010 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय और रेल मंत्रालय ने देश भर में रेलवे की जमीन पर 50 केंद्रीय विद्यालय खोलने के लिए एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे। इन विद्यालयों में से 13 अकेले उत्तर प्रदेश में खुलने थे, जिसमें सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली स्थित कोच फैक्ट्री परिसर भी शामिल है। सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, टूंडला और झांसी भी इन चयनित स्थानों में ही शामिल हैं, जहां से कांग्रेस के ही सांसद हैं। इसके अलावा लखनऊ, आगरा, सीतापुर, मऊ, वाराणसी, सूबेदारगंज, मैलानी और फतेहगढ़ में भी ये केंद्रीय विद्यालय खुलने थे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत केंद्रीय विद्यालय संगठन की तरफ से खुलने वाले इन 13 विद्यालयों में से 11 के लिए संबंधित मंडलों के रेल प्रबंधकों या फिर दूसरे जिम्मेदार अधिकारियों ने प्रस्ताव ही नहीं भेजा। सिर्फ मऊ और वाराणसी में खुलने वाले विद्यालयों के लिए वाराणसी रेल मंडल से प्रस्ताव मिले हैं। उनमें भी मऊ के प्रस्ताव में खामियां हैं जबकि वाराणसी के लिए मिला प्रस्ताव विचाराधीन है। बिहार में दानापुर रेल मंडल में झाझा और समस्तीपुर रेल मंडल में नरकटियागंज में भी केंद्रीय विद्यालय खुलने थे। इनके प्रस्ताव तो मिले हैं, लेकिन उनमें कमियां हैं। एमओयू के मुताबिक जमीन रेलवे को मुहैया करानी थी, जबकि विद्यालय खोलने व संचालित करने का जिम्मा केंद्रीय विद्यालय संगठन का था। इतना ही नहीं, एमओयू के तहत रेलवे को कुल 50 केंद्रीय विद्यालयों के लिए जमीन उपलब्ध करानी थी। लेकिन दो साल में वह मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सिर्फ 43 स्थान ही चिन्हित करने की जानकारी दे पाया है। जम्मू-कश्मीर में जम्मू तवी, महाराष्ट्र में बल्लारशाह, भुसावल, राजस्थान में जोधपुर व बीजीकेटी डीजल शेड समेत बंगलूर और चेन्नई क्षेत्र से आधा दर्जन से अधिक चिन्हित स्थानों पर विद्यालय खोलने के लिए प्रस्ताव अब तक नहीं मिले हैं।