कर्तव्य की अनदेखी

Posted in Friday, 19 August 2011
by Rajkiya Prathmik Shikshak Sangh - 421

एक मनोवैज्ञानिक-सामाजिक शोध में निष्कर्ष निकला था कि अधिकार कुछ-कुछ स्वत: स्फूर्त शब्द है जिसे कहने या मांगने में आम आदमी को ज्यादा सोचना नहीं पड़ता। इस पर वे अपना अधिकार जन्मसिद्ध मानते हैं। रही बात कर्तव्य की तो यह ऐसी पगडंडी मानी जाती है जो दलदली, दुरुह और अंतहीन है, इसीलिए कर्तव्य की प्रकृति देखकर फिसलने या घिरने के डर से लोग इस पर उतरने से झिझकते या कतराते या फिर जानबूझ कर अनदेखी करते हैं। इस बार स्वाधीनता दिवस पर सभी सरकारी स्कूलों में तिरंगा फहराने के लिए शिक्षा विभाग की ओर से जिला शिक्षा अधिकारियों को 500-500 रुपये दिए गए, लेकिन दुर्भाग्य रहा कि 60 प्रतिशत से अधिक स्कूलों में राष्ट्रीय ध्वज फहराया ही नहीं गया। यह दायित्व सरकारी स्कूल की प्रबंध समिति के अध्यक्ष को सौंपा गया था। शिक्षा विभाग की नई नीति के अनुसार अभिभावक, स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि व शिक्षकों को मिलाकर प्रबंध समिति का गठन किया जाता है। राष्ट्रीय पर्व की इस तरह अनदेखी वास्तव में गंभीर चिंता का विषय है। भले ही मौसम की खराबी या कोई अन्य कारण गिनाया जाए, पर इस उत्साहहीनता के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को कठघरे में खड़ा किया ही जाना चाहिए। प्रश्न कई संदर्भो में गंभीर है कि तिरंगारोहण की तैयारी हुई थी अथवा नहीं? स्थानीय निकाय प्रतिनिधि, अभिभावक व स्कूल के मुख्य अध्यापक के बीच विचार-विनिमय हुआ या नहीं? क्या छात्रों को संदेश दिया गया? सभी सरकारी स्कूल शिक्षा निदेशालय के समक्ष अब जो भी दलील दें पर यह तो स्पष्ट हो ही गया कि उदासीनता के चलते राष्ट्रीय पर्व के अपमान की गंभीर चूक तो उनसे हुई। 500 रुपये का खर्च अब किस मद में दिखाया जाएगा? स्कूलों द्वारा यह तर्क भी नहीं दिया जा सकता कि धन कम था, इसलिए समारोह संभव नहीं हो पाया। विद्यालय प्रबंध समिति अध्यक्ष के हाथों में पूरे स्कूल की फंडिंग होती है। इस सारे प्रकरण में जिम्मेदार व्यक्ति के दंड की प्रकृति क्या रहेगी, यह तो शिक्षा निदेशालय को तय करना है पर विभाग इतना अवश्य सुनिश्चित करे कि ऐसी चूक की पुनरावृत्ति न हो। राष्ट्रनिर्माता ही जज्बाविहीन हो जाएंगे तो भावी पीढ़ी के पास कैसा संदेश जाएगा? स्थानीय निकाय प्रतिनिधि भी जनता के नुमाइंदे की हैसियत से देश के प्रति अपने कर्तव्य की गरिमा को बनाए रखें। अभिभावकों को चाहिए कि वे प्रबंधक समिति में अपनी भागीदारी को न्यायोचित व तार्किक रूप से साबित करके दिखाएं।