देर तो हो चुकी

Posted in Thursday, 1 December 2011
by Rajkiya Prathmik Shikshak Sangh - 421

इस मासूमियत पर कौन न फिदा हो! प्रदेश के राजकीय स्कूलों में एजूसेट पिछले तीन साल से खराब पड़े थे। अब अचानक विभाग को पता चला कि बिजली आपूर्ति में व्यवधान के कारण ऐसा हुआ। आनन-फानन में सभी स्कूलों में जनरेटर लगाने का निर्देश जारी कर दिया गया। अब कैसे समझाया जाए कि तीन साल से बंद पड़े कंप्यूटर आउटडेटेड हो गए हैं। एजूसेट के सिगनल बदल गए, वायरिंग खराब हुई तथा रखरखाव न होने के कारण बैटरियां नष्ट हो चुकी। अब बात सिर्फ जनरेटर से जोड़ने तक सीमित नहीं रही। यानी खर्च कई गुणा बढ़ जाएगा। शिक्षा विभाग ने एजूसेट शिक्षा को पटरी पर लाने के लिए 800 रुपये की राशि का भी प्रावधान किया है। एजूसेट की खराबी का पता लगाने में शिक्षा विभाग को तीन साल लग गए उसे पटरी पर लाने में कितना समय लगेगा, आसानी से समझा जा सकता है। सबसे पहले तो शिक्षा विभाग को यह तय करना होगा कि वह एजूसेट सिस्टम को लगातार चालू रखना चाहता है या नहीं? बार-बार नीतियों में ढेरों छिद्र दिखाई देने लगते हैं। सरकार व विभाग को बताना होगा कि एजूसेट जारी रखने के लिए कौन से स्थायी प्रबंध किए? क्या स्थायी तकनीकी शिक्षक की नियुक्ति हुई? क्या बैटरियों के समय-समय पर निरीक्षण, रखरखाव एवं उन्हें बदलने की व्यवस्था की गई? क्या एजूसेट कार्यक्रम का स्तर स्कूल की पढ़ाई के स्तर से मेल खा रहा है? क्या प्रोग्राम व पाठ्यक्रम में समन्वय बनाए रखने का प्रबंध हुआ? इतिहास के पीरियड में गणित का प्रसारण देखना क्या लाभकारी होगा? विषय और प्रसारण में तालमेल न होने के कारण ही अध्यापकों ने एजूसेट में रुचि लेनी बंद कर दी थी। कुछ कार्यक्रम बेहद प्रभावशाली थे लेकिन संगठन एवं नियोजन की कमी से असरहीन हो गए। सर्वशिक्षा अभियान के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को नीतियों की अस्पष्टता के कारण ही अनिश्चितता का शिकार होना पड़ा। शिक्षकों और विद्यार्थियों को एजूसेट के बारे में जागरूक करने के लिए भी अपेक्षित प्रयास नहीं हुए। शिक्षा का स्तर बढ़ाने, छात्रों का दृष्टिकोण प्रगतिशील बनाने और साइबर युग में शिक्षा पद्धति को हाईटेक करने के लिए प्रदेश सरकार के प्रयास को निस्संदेह प्रशंसनीय माना गया परंतु एजूसेट योजना के अमल की खामियों ने श्रेय दिलाने के बजाय साख पर ही प्रहार किया है। ध्यान रहे कि निरंतरता ही प्रगति की संवाहक होती है। एजूसेट योजना को सफल बनाना है तो संकल्प में स्थायित्व जरूरी है।