सरकारी स्कूलों के बच्चों की जिंदगी की कीमत "25 हजार

Posted in Monday, 30 January 2012
by Rajkiya Prathmik Shikshak Sangh - 421

रवि हसिजा, जींद यदि आपका बच्चा स्कूल में खेल के दौरान घायल हो जाए तो बच्चों की मरहम पट्टी या प्राथमिक चिकित्सा के लिए शिक्षा विभाग के पास कोई प्रावधान नहीं है। यदि किसी बच्चे को अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ा तो उसके लिए जरूरी परिवार को राशि मिल जाएगी। वह भी नाममात्र 25 हजार रुपये। अंग भंग होने की स्थिति में भी 10 से 12 हजार रुपये की राशि विद्यार्थी को इलाज के लिए मिलती है। करीब सात साल पहले शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का ग्रुप बीमा करने की योजना बनाई थी। इसके तहत प्रत्येक बच्चे से प्रति साल एक रुपया लिया जाना था। उस दौरान एक साल की राशि प्रति बच्चा एक रुपये ली गई, लेकिन उसके बाद यह राशि बच्चों से नहीं ली गई। विभागीय सूत्र बताते हैं इसके बाद विभाग अपने स्तर पर यह बीमा राशि संबंधित कंपनी को जमा करा रहा है। किसी बच्चे की जिंदगी चली जाने पर परिवार को मात्र 25 हजार रुपये का क्लेम मिलता है। यह क्लेम भी परिवार द्वारा मांग किए जाने पर ही मिलता है। विभाग की ओर से इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जाती। किसी बच्चे का अंग भंग हो जाने पर 10 से 12 हजार रुपये की एकमुश्त राशि परिवार को इलाज के लिए प्रदान की जाती है। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी साधुराम रोहिला का कहना है कि यदि स्कूल में घटना के दौरान किसी बच्चे की मौत हो जाती है तो उसके परिवार को 25 हजार रुपये की मुआवजा राशि बीमा क्लेम के रूप में दी जाती है। अंग भंग होने पर भी राशि दिए जाने का प्रावधान है। प्राथमिक चिकित्सा के तौर पर भी स्कूलों में कुछ नहीं है। पहली से आठवीं के फंड बंद हो चुके हैं। पहले इन फंडों से राशि ले ली जाती थी। नौवीं से बारहवीं कक्षाओं में फंड से सहायता राशि ले ली जाती है।