मप्र के स्कूलों में पढ़ाई जा सकेगी गीता

Posted in Monday, 30 January 2012
by Rajkiya Prathmik Shikshak Sangh - 421

भोपाल, जागरण ब्यूरो : मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा है कि श्रीमद्भागवत गीता धर्मविशेष का ग्रंथ नहीं वरन् जीवन दर्शन है। कोर्ट ने इसी टिप्पणी के साथ मध्य प्रदेश कैथोलिक बिशप परिषद द्वारा दायर जनहित याचिका खारिज कर दी। कोर्ट के इस फैसले के साथ ही प्रदेश के स्कूलों में गीता पढ़ाए जाने का रास्ता साफ हो गया है। मध्य प्रदेश कैथोलिक बिशप परिषद ने राज्य सरकार द्वारा आगामी शैक्षणिक सत्र से सभी सरकारी स्कूलों में गीता सार को शामिल किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी। जस्टिस अजित सिंह और संजय यादव की खंडपीठ ने इस याचिका को सारहीन पाते हुए खारिज कर दिया। परिषद के प्रवक्ता आनंद मुटंगल के वकील राजेश चंद ने तर्क दिया कि संविधान के अनुच्छेद 28 (1) की रोशनी में राज्य सरकार इस तरह धर्मविशेष के ग्रंथ को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने का दबाव नहीं बना सकती। यदि ऐसा किया जा रहा है तो फिर क्यों न अन्य धमरें की पुस्तकों के सार या अंश भी शैक्षणिक पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाए जाएं? कोर्ट ने 29 जुलाई 2010 को उक्त तकरें को सुनने के बाद आवेदक के अधिवक्ता को गीता का अध्ययन करके बहस हेतु उपस्थित होने के लिए कहा था। आवेदक के अधिवक्ता राजेश चंद ने बड़ी साफगोई से स्वीकार किया कि उन्होंने कोर्ट के पूर्व निर्देश के पालन में गीता का अध्ययन किया, लेकिन उनकी समझ में कुछ भी नहीं आया। पीठ ने उक्त जवाब को रिकॉर्ड पर लेने के साथ ही आदेश पारित करते हुए जनहित याचिका खारिज कर दी।