बेटी पढ़े सरकारी, बेटा जाए निजी स्कूल

Posted in Saturday, 4 June 2011
by Rajkiya Prathmik Shikshak Sangh - 421

धर्मेद्र यादव, सिरसा
  इसे संयोग कहें या दुर्योग, मां-बाप आज भी अपनी बेटियों को सरकारी स्कूल में भेज रहे हैं और लड़के निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं। फिर भी परीक्षा परिणाम साबित करता है कि बेटियां बेटों से इक्कीस ही हैं। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के मंगलवार को घोषित दसवीं के परीक्षाफल के आंकड़ों का विश्लेषण करें तो अपने बच्चों को पढ़ाने के मामले में अभिभावकों की दकियानूसी सोच की झलक दिखती है। शहरी इलाकों के सरकारी स्कूलों में लड़कियां ज्यादा पढ़ने जाती हैं, बनिस्बत लड़कों के। इस साल सिरसा के शहरी इलाके के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले लड़कों की संख्या 406 रही, जबकि 802 लड़कियों ने सरकारी स्कूल में पढ़ाई की। यानी, शहरी अभिभावक अपनी बेटी को सरकारी स्कूल में भेजने को तरजीह देता है। ग्रामीण इलाके का अभिभावक बेटा-बेटी को करीब-करीब समान रूप से सरकारी स्कूलों में पढ़ने भेजता है। इसकी बात की तसदीक आंकड़े भी कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में पिछले साल दसवीं में पढ़ने वाले लड़कों की संख्या 4998 रही तो लड़कियों की तादाद 4559 रही जबकि निजी स्कूलों में स्थिति एकदम उलट है। शहर और गांव के प्राइवेट स्कूलों में लड़कों की संख्या ज्यादा और लड़कियों की कम है। इसका मतलब है कि अभिभावकों ने बेटे को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने में ज्यादा रुचि दिखाई। ग्रामीण अंचल के निजी स्कूलों की बात करें तो 1961 छात्रों ने पढ़ाई की, लड़कियों की संख्या 1165 रही। शहर के स्कूलों में 1610 छात्र और 983 छात्राओं ने दसवीं की पढ़ाई की। फिर भी लड़कियां आगे : बेशक लड़कियों को कम तरजीह मिले, लेकिन नतीजों में वे लड़कों से काफी आगे हैं। सिरसा जिले में लड़कियों का उत्तीर्ण प्रतिशत 69.8 रहा। जबकि, 62.6 प्रतिशत लड़के दसवीं में पास हो पाए। प्रदेश स्तर पर भी उत्तीर्ण प्रतिशतता में लड़कियां आगे रहीं। लड़कों का उत्तीर्ण प्रतिशत 65.81 और लड़कियों का 70.77 प्रतिशत रहा।धर्मेद्र यादव, सिरसा इसे संयोग कहें या दुर्योग, मां-बाप आज भी अपनी बेटियों को सरकारी स्कूल में भेज रहे हैं और लड़के निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं। फिर भी परीक्षा परिणाम साबित करता है कि बेटियां बेटों से इक्कीस ही हैं। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के मंगलवार को घोषित दसवीं के परीक्षाफल के आंकड़ों का विश्लेषण करें तो अपने बच्चों को पढ़ाने के मामले में अभिभावकों की दकियानूसी सोच की झलक दिखती है। शहरी इलाकों के सरकारी स्कूलों में लड़कियां ज्यादा पढ़ने जाती हैं, बनिस्बत लड़कों के। इस साल सिरसा के शहरी इलाके के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले लड़कों की संख्या 406 रही, जबकि 802 लड़कियों ने सरकारी स्कूल में पढ़ाई की। यानी, शहरी अभिभावक अपनी बेटी को सरकारी स्कूल में भेजने को तरजीह देता है। ग्रामीण इलाके का अभिभावक बेटा-बेटी को करीब-करीब समान रूप से सरकारी स्कूलों में पढ़ने भेजता है। इसकी बात की तसदीक आंकड़े भी कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में पिछले साल दसवीं में पढ़ने वाले लड़कों की संख्या 4998 रही तो लड़कियों की तादाद 4559 रही जबकि निजी स्कूलों में स्थिति एकदम उलट है। शहर और गांव के प्राइवेट स्कूलों में लड़कों की संख्या ज्यादा और लड़कियों की कम है। इसका मतलब है कि अभिभावकों ने बेटे को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने में ज्यादा रुचि दिखाई। ग्रामीण अंचल के निजी स्कूलों की बात करें तो 1961 छात्रों ने पढ़ाई की, लड़कियों की संख्या 1165 रही। शहर के स्कूलों में 1610 छात्र और 983 छात्राओं ने दसवीं की पढ़ाई की। फिर भी लड़कियां आगे : बेशक लड़कियों को कम तरजीह मिले, लेकिन नतीजों में वे लड़कों से काफी आगे हैं। सिरसा जिले में लड़कियों का उत्तीर्ण प्रतिशत 69.8 रहा। जबकि, 62.6 प्रतिशत लड़के दसवीं में पास हो पाए। प्रदेश स्तर पर भी उत्तीर्ण प्रतिशतता में लड़कियां आगे रहीं। लड़कों का उत्तीर्ण प्रतिशत 65.81 और लड़कियों का 70.77 प्रतिशत रहा।