स्कूल से ज्यादा मां-बाप पर जिम्मेदारी

Posted in Saturday, 19 November 2011
by Rajkiya Prathmik Shikshak Sangh - 421

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली बच्चों को बेहतर मार्ग पर चलने की नसीहत देने का प्रथम कर्तव्य मां-बाप का होता है। स्कूल के पास बच्चों को पढ़ाने और बेहतर नागरिक बनाने का दायित्व तो है, लेकिन कोई अभिभावक यह कह कर अपने बच्चे द्वारा किए गए गलत कार्य पर पर्दा नहीं डाल सकता है कि उसके द्वारा गलत-सही करने और न करने की जिम्मेवारी स्कूल की है। यह कह कर अभिभावक अपने बच्चे द्वारा की गई गलती से मुंह नहीं मोड़ सकता है। इस टिप्पणी के साथ दिल्ली हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने फेसबुक पर शरारत करने वाले दसवीं के बच्चे की याचिका पर सुनवाई करते वसंत कुंज स्थित रेयॉन इंटरनेशनल स्कूल को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने स्कूल को इस मामले पर रिपोर्ट और बच्चे का नाम काटने से जुड़ी सभी जानकारी 30 नवंबर को दाखिल करने का आदेश दिया है। रेयॉन इंटरनेशल स्कूल के दसवीं के छात्र मोहित (बदला हुआ नाम) ने किसी सहपाठी के कहने पर एक छात्रा के नाम के बनाई गई फेसबुक प्रोफाइल पर किसी अभिनेत्री का फोटो लोड कर दिया। इसकी जानकारी कुछ छात्रों को मिल गई। उन्होंने छात्रा को बता दिया। छात्रा ने इसकी शिकायत स्कूल के प्रिंसिपल से कर दी। स्कूल ने कार्रवाई करते हुए बच्चे का नाम स्कूल से काट दिया। बच्चे का दसवीं का बोर्ड है और स्कूल के अच्छे बच्चे की सूची में भी शामिल है। बाद में छात्रा को यह लगा कि मोहित के साथ गलत हो गया तो उसने कई बच्चों के साथ प्रिंसिपल से लिखित अनुरोध किया कि उसे माफ कर दिया जाए। बच्चों ने प्रिंसिपल से यहां तक कहा कि मोहित को काउंसलिंग की जरूरत है न कि स्कूल से बाहर करने की। स्कूल ने बच्चे को दुबारा अपने यहां दाखिला नहीं दिया। हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील अशोक अग्रवाल ने इस बाबत याचिका हाई कोर्ट में लगाई। इस पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने इस शरारत के लिए बच्चे और अभिभावक की कड़ी फटकार लगाई। सुनवाई के दौरान बच्चे की ओर से दलील दी गई कि बच्चा दसवीं की बोर्ड परीक्षा मार्च में देगा। इस वक्त नाम काटने की जगह उसकी स्कूल काउंसलिंग करता तो बेहतर होता। इस पर कोर्ट ने तल्ख रुख अख्तियार करते हुए उलटा अभिभावक पर सवाल पर किया कि बच्चे की काउंसलिंग स्कूल क्यों करें? क्या बच्चे को बेहतर बनाने की जिम्मेदारी अभिभावक की नहीं है? कोर्ट ने कहा कि इस घटना को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। बच्चे को निर्दोष की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है।