आरक्षण के मुद्दे पर शिक्षामंत्री भुक्कल और विभाग में ठनी
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Wednesday, 23 November 2011
by Rajkiya Prathmik Shikshak Sangh - 421
चंडीगढ़, जागरण ब्यूरो : प्रदेश के आरोही स्कूलों में अध्यापक भर्ती के दौरान आरक्षण के मसले पर शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल और शिक्षा विभाग के अधिकारियों में ठनी हुई है। शिक्षा मंत्री ने इन भर्तियों में अनुसूचित जाति को आरक्षण देने के लिए शिक्षा विभाग को कई पत्र लिखे हैं लेकिन विभाग के पास आरक्षण नहीं देने की कई दलीलें हैं। इस रस्साकशी में आरोही स्कूलों की भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। इधर रोहतक व प्रदेश के कुछ हिस्सों में दलित वर्ग के छात्रों ने आरोही स्कूलों में आरक्षण न देने के विरोध में शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल और सिरसा के सांसद अशोक तंवर का पुलता भी फूंका है। केंद्र सरकार की योजना के तहत प्रदेश के 10 जिलों हिसार, फतेहाबाद, सिरसा, जींद, कैथल, भिवानी, महेंद्रगढ़, पलवल और मेवात में 36 आरोही स्कूल खोले गए हैं। इस योजना के तहत आरोही स्कूलों का 75 फीसद खर्च केंद्र सरकार उठाती है और 25 फीसद राज्य सरकार। मसला यहां अटका हुआ है कि केंद्र सरकार का निर्देश है कि आरोही स्कूल की योजना के तहत किसी भी नियुक्ति कें राज्य सरकार की आरक्षण नीति के तहत आरक्षण दिया जाए। राज्य सरकार की आरक्षण नीति के अनुसार केवल एक पद के लिए आरक्षण नहीं दिया जा सकता। इसी आधार पर आरोही स्कूलों के अध्यापकों की भर्ती में राज्य में कोई आरक्षण नहीं दिया जा रहा। यही विवाद करीब पांच साल पहले अतिथि अध्यापकों की नियुक्ति के बाद उठा था जिसकी भर्ती में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण नहीं था। आरोही स्कूल योजना के तहत प्रत्येक स्कूल में अलग-अलग विषयों के 20 शिक्षकों की नियुक्ति की जानी है। इस तरह करीब 720 शिक्षकों की नियुक्ति की करीब तीन माह पहले आरंभ हुई प्रक्रिया अभी तक सिरे नहीं चढ़ पाई है। भर्ती प्रक्रिया पूरी होने तक राज्य सरकार ने 400 लेक्चररों को इन स्कूलों में प्रतिनियुक्ति पर भेजा हुआ है। प्रदेश में आंदोलन के बाद शिक्षा मंत्री ने अनुसूचित जाति के अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण के लिए विभागीय अधिकारियों को एक के बाद एक कई पत्र लिखे हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की दलील है कि केंद्र सरकार की योजना के मुताबिक आरक्षण प्रणाली का रोस्टर चार पोस्ट के बाद लागू होता है।