पेंशन पर गारंटीशुदा रिटर्न को सरकार राजी
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Tuesday, 20 December 2011
by Rajkiya Prathmik Shikshak Sangh - 421
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली समाज के तमाम तबकों की चिंताओं और सियासी दबाव के बाद सरकार पेंशन फंड में निवेशकों को गारंटीशुदा रिटर्न देने को राजी हो गई है। शीतकालीन सत्र में अब तक अपने आर्थिक सुधार के एजेंडे को बढ़ाने में नाकाम रही सरकार ने विपक्ष के सुझावों को मानकर पेंशन फंड नियामक विकास प्राधिकरण विधेयक में कई बड़े संशोधन करने की हामी भर दी है। गारंटीशुदा रिटर्न के अलावा निवेशकों को बाजार आधारित रिटर्न का विकल्प भी दिया जाएगा। पेंशन फंड में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को कानून के जरिए मंजूरी देने पर भी सहमति बन गई है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और भाजपा नेताओं के बीच हुई बैठक के बाद पेंशन फंड व नियामक विकास प्राधिकरण विधेयक को लेकर सहमति बन गई है। हालांकि, इसमें करीब 70 संशोधनों का प्रस्ताव आने के बाद सरकार पुराने विधेयक को वापस लेकर नया विधेयक पेश करने के विकल्प पर भी विचार कर रही है। यदि पेंशन फंड संसद से पारित होता है तो मल्टीब्रांड रिटेल में धक्का खाने के बाद आर्थिक सुधारों पर सरकार का यह पहला बड़ा कदम होगा। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के साथ हुई इस बैठक में भाजपा संसदीय दल के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली व पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा भी मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार बैठक में सरकार ने पीएफआरडीए विधेयक पर सिन्हा की अध्यक्षता वाली वित्त संबंधी स्थायी समिति की गारंटी शुदा रिटर्न की सिफारिश को मान लिया है। गारंटीशुदा रिटर्न के साथ अन्य निवेश का विकल्प भी मौजूद रहेगा। सरकार इसमें एफडीआइ के प्रावधान नियम के बजाए कानून बनाने पर भी सहमत हो गई है। हालांकि विधेयक का विरोध कर रही सरकार की सहयोगी तृणमूल कांग्रेस का रुख साफ नहीं है। सरकार ने तृणमूल नेता व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी से चर्चा की है। विधेयक बुधवार को लोकसभा में पेश हो सकता है। कंपनी विधेयक में सीमित दायित्व वाली साझेदारी फर्मो (एलएलएम) के मुद्दे पर भी सरकार ने भाजपा की मांग मान ली है। हालांकि भाजपा इस विधेयक को फिर से संसद की स्थायी समिति के पास भेजने के पक्ष में है। इसकी वजह इसमें स्थायी समिति के सुझाए 162 संशोधनों के साथ सरकार को अलग से विभिन्न संस्थाओं से लगभग 20 अन्य सिफारिशें भी मिली हैं। हालांकि इस बारे में सरकार ने कोई आश्वासन नहीं दिया है। यह विधेयक सोमवार की लोकसभा की कार्यसूची में शामिल था, लेकिन विपक्ष के साथ सहमति न बनने से सरकार ने इसे पेश नहीं किया। गौरतलब है कि इन दोनों विधेयकों का भाजपा के साथ वाम दल भी विरोध करते रहे हैं।